Tuesday, April 21, 2009

lets learn

चिडिया के पर तो छोटे हैं पर
पर की ताकत पर से परे है
ऊँचे नभ की सीमओं पर भी
सबसे पहले पहुंचे पर है
मन में पर का भावअगर हो
पर अदने से लगते हैं
निस्तेज पड़े इक बुत पर जैसे
कौवे उड़ने लगते हैं
है पर की ही ताकत
पर की ही हिम्मत
चिडिया को पर से पार ले चले
उन्मुक्त गगन में वीर परों का
आह्वाहन भला हम क्यों न करे ?

4 comments:

Anonymous said...

nice....keep it up

Unknown said...

this poem realy give motivation to keep goin on and on....good work man.

12sdsds said...

nice dear Rohit..

तरूश्री शर्मा said...

nice poem Rohit!!!
Keep it up...nice to read u in hindi.