"कुछ कहे" दिल की दहलीज़ पर दस्तक से निकली वो रचना है जो शायद एक स्वतंत्र धारा बन के निकली है । अपने अन्दर समाये हुए कई भावो को कभी कविता के द्वारा , कभी गीतों के द्वारा निकालने का प्रयास है । ये कुछ कहने का प्रयास है ।
वो पहली मुलाक़ात वो पहला एहसास किसी ख़ास के अपना होने का २६ मे यही वो तारिख है जिसने दिलाया , समझाया , एहसास कराया उस अद्भुत अनुभूति का उस अभिव्यक्ति का .......