Saturday, April 4, 2009

सीखते रहो .......


इंदौर
४ अप्रैल ०९

हेल्लो
कई दिनो के बाद आज लिख रहा हूँ। सही बताऊ तो इन् दिनों मै ब्लॉग्गिंग सीखने की कोशिश कर रहा था। कई ब्लोग्स पढ़े, पर ज़्यादा कुछ समझमे नही आया। कई नयी टर्म्स जानी , जैसे ब्लॉग लिस्ट, फीड, या आर एस एस । इन् सबको समझने में इतना टाइम हो गया की लिखना याद ही नही रहा। पर फिर भी कुछ ज़्यादा समझ नही आया। इसी बीच ३ तारीख को गीत रामायण का प्रोग्राम सुनाने को मिला। मै अपना भाग्य और पुण्याई समझता हूँ की इस अद्भुत रचना को मैंने अपने कानो से लाइव सुना....एक अलग ही एहसास ..एक अलग ही दिव्य तरंगो ने मुझे शाम ६:३० से १० बजे तक अपनी जगह से उठने ही नही दिया...ये कोई जादू है या चमत्कार, ये तो मै नही जनता पर इतना ज़रूर जानता हूँ की इसी रस और इसी श्रद्द्धा ने आज पूरे भारत को जोड़ रखा है। मै ये बात किसी धर्म या जाती विशेष के बारे में नही कह रहा। मै ये कहा रहा हूँ उस एहसास और उस रूहानी अनुभव के बल पर जिसने मुझे लगभग ३ घंटे जैसे अपनी कुर्सी पर चिपका दिया । उन तीन घंटो के लिए मै इस दुनिया से बिल्कुल कट गया। मुझे लगा जैसे मै अकेला ही हूँ और मेरे लिए विशेष रूप से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। धर्म कोई भी हो, मत कोई भी हो, विचार किसी भी ग्रन्थ से निकला हो , हर बार एक ही स्वर, एक ही तरंग है जो इस सारी श्रष्टि को दिव्य और आनंदमय बनाती है और वो है इश्वर...खुदा....भगवन..वाहे गुरु..God. सीखने को हर क्षण मिला। उस धुए में जिसमे मै खो गया , उसमे भी। सीखा -कैसा होता है महान जीवन, सीखा की कैसे होता है बड़े कामो के लिए छोटे स्वार्थ का त्याग और भी बहुत कुछ।
जीवन के हर पथ पर सीखते चल रे
न जाने किस मोड़ पर ज्ञान काम आजाये।