"कुछ कहे" दिल की दहलीज़ पर दस्तक से निकली वो रचना है जो शायद एक स्वतंत्र धारा बन के निकली है । अपने अन्दर समाये हुए कई भावो को कभी कविता के द्वारा , कभी गीतों के द्वारा निकालने का प्रयास है । ये कुछ कहने का प्रयास है ।
Sunday, April 19, 2009
अवघा रंग एकच झाला
इंदौर
पीढियो का अन्तर जब सामने आता है तो केवल परिवार ही नही, राष्ट्र भी टूट सकता है। एक बेहद संजीदे विषय के साथ पूरी तरह से भाव विभोर कर देने वाला नाटक था "अवघा रंग एकच झाला "।
No comments:
Post a Comment