Monday, June 28, 2010

तेरा नाम बन के जिया था

तन्हाई में छिपा था
न मुफलिसी में बसा था
मेरा प्यार मेरे दिल में
तेरा नाम बन के जिया था

चमकते तारे आसमान में
होंगे नज़ारे इस जहाँ में
रूप तेरा बसा हुआ था
ये दिल तभी तो धड़क रहा था
मेरा प्यार मेरे दिल में
तेरे नाम से जिया था

1 comment:

Unknown said...

Kya dard hai bhai............

Kisne thukraya tujhe.........